पचराही छत्तीसगढ़
वर्तमान काल के समय में छत्तीसगढ़ को दकछिड़ कौसल के नाम से जाना जाता है और इस बात का प्रमाण पुराने काल के ग्रंथो में पाया जाता है इस छत्तीसगढ़ के लेखक तथा इतिहासकारों का भी यही मानना है छत्तीसगढ़ में भूमि खनन के दौरान मूर्ति सिक्के तथा अन्य प्राचीन वस्तुए पाए जाते है पचराही गाँव भी एक ऐसी जगह है जहा प्राचीन समय की वास्तु पाई जाती है यहाँ खनन के दौरान वास्तव में वहा कुछ ऐसी ऐसी चीजे पाए जाते है जो छत्तीसगढ़ की प्राचीनता को सिद्ध करती है
पचराही कहा है
पचराही छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में लगभग 45 किलोमीटर दूर हाप नदी के पास मैकल पर्वत के गोद में बशा हुआ है पचराही एक छोटा सा गाँव है छत्तीसगढ़ की धरती कला और संकृति के नाम से प्रसिद्द है यहाँ बहुत पुराने युग से समय से अनेक स्थानों पर मंदिर किला तथा महल स्थित है
यहाँ आज भी कुछ मंदिर पुराने समय में जैसे थे वैसे ही है और कुछ खंडहर के रूप मर है राजिम, शिवरीनारायण, मल्हार, राजिम, रतनपुर, डीपाडीह, भोरमदेव, घटियारी, दंतेवाडा, बारसूर, इन सभी जगह पर हमें प्राचीन संकृति के कला इत्यादि पाए जाते है जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ का प्रकाश पूरी दुनिया में जाना जाता है पुरातत्व और कला संकृति है जो कबीरधाम जिले स्थित पचराही गाँव में मिले है
गाँव का नाम पचराही कैसे पड़ा
यहाँ के बुजुर्गो का कहना है की यहाँ से पांच रास्ता है जो रतनपुर, मंडला, सहसपुर, भोरमदेव, लंजिका, चौरागढ़ के लिए निकलता है इस लिए इस गाँव का नाम पचराही पड़ा है सामान्य रूप से कहे तो यहाँ एक स्थान से पांच जगह तक जाने का रास्ता है इसलिए भी इस गाँव का नाम पचराही पड़ा कितने लोगो का ऐसा भी मानना है की यहाँ एक कंकाली नामक मंदिर था
जो देवी के रूप में दिखती तथा आयी करती थी इस गाँव का नाम पचराही पड़ने का एक और कारण है की यहाँ के लोग पचराही गीत गया करते थे जिस नाम से भी गाँव का नाम पचराही पड़ा है पचराही का नाम चाहे किसी भी कारण वर्ष क्यों ना पड़ा हो लेकिन पुराने समय में यह गाँव व्यापार का एक बहुत बड़ा केंद्र था आज यहाँ के समय में जो भी वास्तु मिली है वह अपनी कहानी को दर्शाता है
जैन धर्मं से जुड़े देवताए
नगर बसाहट के खंडहर के साथ यहाँ विष्णु वैष्णव शाक्त तथा जैन धर्म से जुड़े देवी देवताओं की मूर्ति और मंदिर की जानकारी मिली है जिसका निर्माण नौ वी इ. से लेकर तेरह इ. वीं सदी तक किया गया था पुराने ऐतिहासिक साहित्य मैं इस क्षेत्र को दक्षिण कौशल के नाम से भी जाना जाता था छत्तीसगढ़ राज्य जब नया बना था तब वहाँ खुदाई का काम शुरू किया गया था और पुराने अवशेष की खुदाई के काम को शासन ने बड़ा महत्त्व दिया जिसकी वजह से जो नया छत्तीसगढ़ बना था जिसके लिए सांस्कृतिक पुरातत्विक तथा जो तिथिक्रम है उसमें नया झलक दिखाई दिया
खुदाई के समय मिले जीवाश्म प्राणी
संचनालय संस्कृति और पुरातत्वपुरातत्व विभाग की तरफ से पचराही में 2007 से खुदाई का काम निरंतर बिना रुके चल रहा है यहाँ आदिमानव के समय से लेकर मुगलकाल के समय तक खुदाई के दौरान अवशेष मिले हैं पचराही में भवन निर्माण तथा मूर्ति निर्माण की कला है उसका यह प्रमुख केंद्र था जिसे राजनीतिक स्थायित्व तथा धार्मिक समरसता का प्रतीक माना जा सकता है
पिछले साल पहले खुदाई के दौरान जलीय प्राणी के जीवाश्म मिले हैं मतलब जो जल में जली प्राणी रहते है उसका जीवाश्म पाया गया है जिसमें से एक जीवाश्म प्राणी पहला मौलुस्का परिवार से है और दूसरा पाईला जो सिल्प जाति से पाया जाता हैवैज्ञानिको के मुताबित मौलूस्का जीवास्म के काल से लगभग तेरह करोड़ बरस थे भारत में पहली बार खोदाई से जलीय प्राणी के जीवाश्म पचराही में पाए जाते हैं
प्राचीन पत्थर का स्थान बना
इसी के साथ साथ पचराही में आदिमानव भी रहा करते थे जहाँ से उत्तर पाषाण काल और मेसोलिथिक काल के औजार मिले हैं इससे यह प्रमाणित होता है कि यहाँ आदिमानव भी वास किया करते थे पचराही के पास आप नदी के पास एक वकील नाव का गांव था वहाँ बहुत सारे पुराने पत्थर अवशेषों के आधार मिले हैं जो छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े तथा पुराने प्राचीन पत्थर के हथियार तथा औजार बनाने का स्थान साबित हुआ है
सोमवंशी राजा
पुराने दिन पहले सोमवंशी काल और पचराही फिर से आबाद हुआ इसी समय में कंकालीन नाम का एक स्थान था जहाँ सुरक्षा के हिसाब से दो मंदिर बनाए गए जो चारो तरफ से दीवाल से घिरा हुआ था इस स्थान पर खुदाई के दौरान ईंट से बने मंदिर पाए गए हैं साथ में सोमवंशी काल के पार्वती और कार्तिक भगवान की भी मूर्ति मिली है खुदाई से पहले इस टीला में जो शोमवंशी काल के द्वार तोरण तथा जो भी मूर्ति आदि थे
वो खैरागढ़ संग्रहालय में रखा गया है सोमवंशी काल के पहले पचराही कलचुरी काल में आबाद था यहाँ से पहली बार कलचुरी राजा प्रतापमल देवकी सोने के सिक्के तथा मुद्रा मिले हैं दो सोने के सिक्के तथा मुद्रा रतन देव के है जाजल्लदेव और पृथ्वी देव के भी चांदी के सिक्के मिले हैं कलचुरी काल के पहले पचराही के ऊपर फणी नागवंशी राजा भी अपना कब्जा जमा लिया और उस स्थान पर मंदिर और महल बनवाया
खुदाई से मिले सिक्के
यहाँ से पहली बार पड़ी नागवंशी राजा कन्हार देव के सोने के सिक्के मिले हैं और साथ साथ दूसरा और फणी नागवंशी राजा जैसे श्रीधर देव जशराज देव के भी चांदी के सिक्के मिले हैं इसके पहले मुगल काल के समय तक पचराही बहुत महत्त्व के व्यापारिक स्थान और यहाँ से मुगल काल के भी एक दर्जन सिक्के मिले हैं
पचराही ग्यारहवीं और बारहवीं ईस्वी में शिल्प और वास्तुकला के बहुत बड़े महत्त्व वाले सांस्कृतिक केंद्र और बहुत बड़े व्यापारिक स्थान रहा था मंदिर मूर्ति के यहाँ मंदिर और मूर्ति के अलावा भी आम इंसान के बनावट के प्राचीन अवशेष मिले हैं यहाँ सुरक्षा दीवार के अंदर या गिरे हुए चारदीवारी के अंदर खास इंसान ओके स्थान तथा साथ ही यहाँ से सोना चांदी और तांबा के सिक्के भी मिले हैं जो सभी राजवंशसो का प्रमुख मूल धन था
खुदाई से मिले वस्तु
यहाँ जो आम लोग थे इनके रहने का यह प्रमाण है कि यहाँ कुम्हार तथा लोहार लोगो का अंकन मिले हैं तथा यहीं से ही छोटे बच्चो के मिट्टी के खिलौने जैसे बैल और घोड़े तथा माला लोहा तांबा के औजार मिले हैं
पचराही परिक्षेत्र के क्रमांक चार में पंचायत शैली के साथ साथ राजपुरुष उमा महेश्वर के बहुत ही सुंदर मूर्ति भी पाया गया पचराही क्षेत्र क्रमांक पांच में चार दिवारी से स्थान है जहा नीचे के भाग में लगभग 100 मीटर लंबा और 50 मीटर चौड़ा ईट के बने परदे और महल के उपर जाने के लिए बने सीढ़ी के अवशेष आज भी देखे जाते हैं
पचराही में अभी तक केवल छह मंदिरों के अवशेष मिले गए हैं जहाँ सुन्दर कलात्मक मूर्ति पाए जा रहे हैं हाफ नदी के उस पार बकेला नामक गांव में टीला जैन मूर्ति के मूर्ति खंड देखे जा सकते हैं जिसमें धर्मनाथ शांतिनाथ और पार्श्वनाथ की खंडित मूर्ति रखा हुआ है कैसे और उसके पास ही डोंगरी नामक स्थान में जैन मंदिर के द्वार में रखा गया है जिसके सामने महावीर स्वामी की मूर्ति भी है पचराही हमारे छत्तीसगढ़ के पुरातत्व किए गौरव आए हैं आज इसकी सुंदरता पूरी दुनिया भर मैं बिखराई जा रही है तथा यहाँ खुदाई से अनेक पुराने पुराने प्राचीन वस्तुओं की प्राप्ति हो रही है
इन्हें भी पढ़े
हसदेव जंगल छत्तीसगढ़ Hasdev Forest In Chhhattishgarh
इतिहास का अर्थ और महत्व Itihas Ka Arth Aur Mahatv
प्रधानमंत्री कैसे बने – Pradhan Mantri Kaise Bane
पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई-Prithvi Ki utpatti kaise hui
छत्तीसगढ़ राज्य का गठन कब हुआ Chhattisgarh Rajya Ka Gathan Kab Hua
Leave a Reply