महात्मा गांधी का जीवन परिचय पर निबंध – अगर हम भारत कि आजादी के बारे में बात करे तो ऐसे की सारे स्वतंत्र सेनानी के नाम आते है जिन्होंने हमारे भारत देश को अंग्रेजी सरकार के चंगुल से मुक्त करने में अपने जीवन को समर्पित कर दिए लेकिन इन सभी देश प्रेमियों में से एक ऐसे व्यक्ति थे
जिनकी चर्चा हमेशा होती रहती है जिसका मुख्या करण उनका आदर्श जो दृढ सिधांत और निस्छिता को घेरती है अगर हम आज आजाद है तो केवल इस महा पुरुष के वजहों से ही है लेकिन इनमे एक मुख्य व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि हमारे देश के महात्मा गाँधी जी जिन्हें प्यार से लोग बापू के नाम से पुकारा करते थे महात्मा गांधी का जीवन परिचय पर निबंध
परिचय
गाँधी जी पूरा नाम मोहन दास करमचंद गाँधी था इनका जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था इनके पिता जी का नाम करमचंद गाँधी जो कि पोरबंदर के दीवान थे और माता का नाम पुतली बाई थी और ये एक धार्मिक महिला थी गाँधी जी गुजरती कास्ट से सम्बन्ध रखते थे
प्रारंभिक जीवन
माता पुतली बाई कि गाँधी जी के प्रारंभिक जीवन से ही अत्यधिक प्रभाव रहा है इनका विवाह 13.5 साल कि उम्र में 14 साल कि कस्तूरबा नाम कि लड़की से विवाह कर दिया गया था समय बीतने के पश्चात् जब महात्मा गाँधी जी 15 वर्ष के हुए तब उनकी एक पहली संतान ने जन्म लिया लेकिन कुछ करण वर्ष इनकी यह संतान कुछ दिन तक ही जीवित रह पाया था इसके कुछ समय बाद ही गांधीजी के पिता करमचंद गाँधी जी का भी आकस्मिक निधन हो गया गांधीजी और कस्तूरबा के कुल चार संतानें हुई सभी पुत्र थे
गाँधीजी जी कि प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई थी इन्होने हाई श्कूल पास करने के बाद कला विषय का चयन कर डिग्री हासिल करने के लिए गुजरात के भावनगर सामल दास कॉलेज में दाखिला लिया यह कॉलेज उस समय का एकमात्र कॉलेज था जिसके द्वारा डिग्री लिया जा सकता था लेकिन कुछ परेशानियों के कारण गाँधी जी को यह कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही रोकनी पड़ी गाँधीजी वकालत की पढ़ाई करना चाहते थे क्योंकि इनका परिवार इन्हें बैरिस्टर बनाना चाहते थे परन्तु आगे चल कर गाँधी एक सफल बैरिस्टर बने
महात्मा गाँधी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा
एक समय की बात है जब गाँधीजी को सन 1894 में किसी कानूनी विवाद से संबंधित किसी कारण वर्ष दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा और वहाँ हो रहे अन्याय के खिलाफ़ अवज्ञा आंदोलन मजबूरन चलाना पड़ा जो सफल भी रहा और इसके पूर्ण हो जाने के बाद भारत लौट गए
गाँधीजी का सामाजिक जीवन
महात्मा गाँधी जी एक महान लीटर पहले से ही थे लेकिन वे अपने सामाजिक जीवन में भी सादा जीवन को महत्त्व देने वाले तथा मानने वाले व्यक्ति थे उनको इसी स्वभाव गुड़ के कारण लोग इन्हें महात्मा गाँधी बोला करते थे प्रजातंत्र के भी महात्मा गाँधी बहुत बड़े भारी समर्थक थे इनके पास दो मुख्य हथियार थे सत्य और अहिंसा और यह हथियार इतना बलशाली था कि ऐसे इस्तेमाल करें से अंग्रेजों से भारत को आजाद कराया गाँधीजी का व्यक्तित्व बहुत ही सुविचार था जिसके चलते इनसे कोई भी मिलता तो वे उनसे बहुत प्रभावित हो जाते थे
चौरी चौरा कांड
चोरी चोरी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थान में एक कस्बा है जिससे स्थान पर 5 फरवरी 1922 को भारतवासियों ने ब्रिटिश सरकार द्वारा उपस्थित एक पुलिस चौकी को आग लगा दिया गया था जिसके कारण उस चौकी के अंदर छुपे ब्रिटिश सरकार की 22 पुलिस कर्मचारी आग की चपेट में ओके जिंदा जल के मारे गए थे जिसके कारण इस घटना को चौरा चोरी कांड के नाम से जाना जाता है इसके फलस्वरूप गाँधी जी द्वारा कहा गया था कि हिंसा होने के बाद असहयोग आन्दोलन उपयुक्त न रह जाए और उसे वापस ले लिया गया था
गाँधी जी का आन्दोलन
गाँधी जी द्वारा 6 आन्दोलन चलाये गए थे –
- भारत छोड़ो आन्दोलन
- भारत का विभाजन
- चंपारण और खेड़ा
- दलित आन्दोलन
- स्वराज और सत्याग्रह
- असहयोग आन्दोलन
छुआ छूत को दूर करना
गाँधी जी छुआ छूत को बिलकुल भी नहीं मानते थे वो यह चाहते थे समाज में ऐसा इस तरह कि अंधविश्वास न रहे गाँधी जी का मानना था कि हम सभी को बनाने वाले एक ही भगवान है तो भेद भाव क्यों मानना समाज में सभी को एक सामान बराबरी का दर्जा मिले
महात्मा गाँधी का जीवन दर्शन
महात्मा गाँधी किसी भी लक्ष्य या उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सबसे ताकत वर हथियार सत्य और अहिंसा को मानते थे इनका कहना था कि उद्देश्य का पवित्र होना काफी नहीं बल्कि उद्देश्य प्राप्त करने का मार्ग भी परित्रा होना आवश्यक है लिओ टॉलस्टॉय और हेनरी डेविड थोरो जैसे विचारको का गाँधी के ऊपर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिससे प्रेरित होकर अहिंसा का सिद्धान्त ग्रहण किये थे इस सिद्धांतों को गाँधी जी द्वारा चरित्र निर्माण किया गया है –
- सत्य (Truth
गाँधी जी जीवन के लिए सत्य को सबसे बड़ा उद्देश्य मानते थे और इसी आधार पर इनका पूरा जीवन दर्शन टिका हुआ था सत्य के माध्यम से वास्तविक विजय प्राप्त की जा सकती है इस कथन के उद्देश्य पर उन्होंने अपने जीवन कथा का नाम भी सत्य के मेरे प्रयोग रखा था
- अहिंसा (Non-Violence
गाँधी जी अपने किसी भी उद्देश्य से को पूरा करने तथा प्राप्त करने हेतु अहिंसा को अपना शक्तिशाली और मुख्य हथियार मानते थे गांधीजी के आंदोलन में अहिंसा के सिद्धांत को निम्न रूप में देखे जा सकते हैं अहिंसा के लिए अंदर से मजबूत होना आवश्यक है
- सादगी (Simplicity
सरल सादापन मैं गाँधीजी का अटूट विश्वास रहा है बस उनका यह मानना था कि जब तक हम अपने जीवन में सरलता एवं सादगी नहीं अपना लेते तब तक समाज में अमीरी और गरीबी की फसलें को नहीं मिटा सकते
- विश्वास Trust
गाँधीजी सभी धर्म के लोगों को सामान एकता बनाए रखने के लिए विश्वास को प्रमुख तत्व माना गया है
- ब्रह्मचर्य Celibacy
गाँधीजी देशवासियों को सदैव ब्रह्माचार्य पालन के उद्देश्य के लिए आध्यात्मिकता शुद्धि का उपदेश देते थे
महात्मा गाँधी कि मृत्यु
हमारे देश के महान सपूत महात्मा गाँधी जी भारत को आजादी दिलाने के एक वर्ष पश्चात 30 जनवरी सन् 1948 आपको संध्या की पूजन के लिए जा रहे थे तब उसी वक्त नाथूराम गोरसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई गाँधी जी की मृत्यु से परिचित होकर दुनिया भर के वमहापुरुषों ने शोक जताया था दिल्ली के राजघाट नामक स्थान में महात्मा गाँधी जी का समाधि बनाया गया है जो आज भी लोगों को प्रेरणा प्रदान करती है
FAQ –
Q – महात्मा गाँधी का जन्म कब और कहा हुआ था ?
ANS – गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर स्थान में हुआ था
Q – महात्मा गाँधी के माता और पिता का क्या नाम था ?
ANS – पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतली बाई गाँधी थी
Q – गाँधी जी अफ्रीका कब गए थे ?
ANS – सन 1893 में गाँधी जी अफ्रीका गए थे
Q – गाँधी जी के राजनैतिक गुरु कौन थे ?
ANS – गुरु गोपाल कृष्ण गोखले
Q – गाँधी जी कि समाधी का क्या नाम है और कहा है ?
ANS – गाँधी जी कि समाधी का नाम राजघाट था और वो दिल्ली में स्थित है
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