सोनाखान का विद्रोह 1856-57
वीर नारायण जी का जन्म – सन 1795 को हुआ था
जन्म स्थान – जिला बलौदा बाज़ार में हुआ था
राम साय इनके पापा का नाम था
वीर नारायण सिंह एक सच्चे देश भक्त तथा अपने प्रजा के प्रति प्रेम तथा स्नेह रखने वाला एक सच्चा व्यक्ति था जो की सोनाखान के बहुत बड़े जमींदार थे
सोनाखान के जमींदारी में 1857 में विद्रोह हुए है, और इस समय वीर नारायण सिंह जमींदार थे
सोनाखान जमीदारी की स्थापना कलचुरी शासक बारेन्द्र साय ( बाहर साय) के शासन में हुई थी
वीर नारायण के पूर्वज बिसई ठाकुर बिंझवार को सैन्य सेवा के बदले सोनाखान की जमींदारी दी गई थी। यह सैन्य पट्टे पर आधारित जमींदारी थी इसलिए यहां से अंग्रेजों को कर नहीं मिलता था। इसलिए अंग्रेज सोनाखान की जमींदारी से चिड़ते थे। इस समय वीर नारायण सिंह के पिता रामराय की मृत्यू के बाद सोनाखान के जमींदार वीर नारायण सिंह बनाये गये ।
सोनाखान में अकाल पड़ा
1856 में सोनाखान की जमीदारी में भीषण अकाल पड़ा। इस समय यहां के जमींदार वीर नारायण सिंह थे। इन्होंने अपने सारे अनाज सोनाखान के जनता में बाँट दिये इसके बावजूद कम पड़ा तो कसड़ोल के व्यापारी माखनलाल बनिया से अनाज की मांग किया। लेकिन उसने मना कर दिया। वीर नारायण सिंह ने कई बार उनसें अनाज की मांग की पर वो नहीं माने।
तो वीर नारायण सिंह ने जबरदस्ती अनाज, गोदाम से निकालकर जनता में बांट दिये माखनलाल बनिया ने तात्कालिक डिप्टी कमीशनर चार्ल्स.सी. चोरी और मर पीट के मामले से रिपोर्ट किया गया चार्ल्स. चार्ल्स. सी. इलियट ने वीर नारायण सिंह के खिलाफ वांरेट जारी किया।
कैप्टन स्मिथ के नेतृत्व में वीर नारायण सिंह के खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया।
वीर नारायण सिंह को पकड़ने में उसके चाचा महराज साय (देवरी के जमींदार ) ने कैप्टन स्मिथ की मदद की और साथ ही कटिंग्गी के फौज ने भी कैप्टन स्मिथ का साथ दिया
फांसी कहा दी गयी थी
वीर नारायण सिंह को अन्त में गिरफ्तार कर लिया गया। छत्तीसगढ़ के रिविजनल रिकार्ड पत्र क्रमांक 286 के अनुसार 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के जयस्तंभ चौक में वीर नारायण सिंह को फाँसी दे दी गई। ये छत्तीसगढ़ अंचल के प्रथम शहीद कहलाये
सहीद वीर नारायण जी का सम्मान
130 वि बरसी मानाने के लिए सन 1987 को भारत सरकार के द्वारा वीर नारायण जी को श्रधांजलि देने के लिए 60 पैसे का एक स्टाम्प स्टाम्प को जारी किया गया था इस स्टाम्प के मुताबित वीर नारायण जी को टॉप के आगे रस्सी के सहरे बांध कर दिखाया गया था वीर नारायण जी को सम्मान के लिए छत्तीसगढ़ शासन के अंतर्गत आदिमजाति कल्याण विभाग द्वारा सम्मानित किया गया था जिसकी स्थापना सन 2001 में किया गया है
वीर नारायण सिंह के नाम पर रायपुर के संघ ने अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का 2008 में निर्माण करवाया गया था
देश के तीसरे स्थान जो सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम है जो वीर नारायण जी के नाम पर किया गया है
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